श्री राम माता कौशल्या धाम, अयोध्या
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यह धाम माता कौशल्या के प्रेम और भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की दिव्य लीलाओं को समर्पित है।
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हमारा उद्देश्य
जय मा! जय माता!! जय माते!!!
सनातनी हिन्दू समाज का हृदय से स्वागत है श्री राम माता कौशल्या धाम, अयोध्या में। यह धाम उस दिव्य भावना को समर्पित है, जहाँ माता कौशल्या की गोद में मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अवतार लिया और चारों भाइयों का आदर्श, तेजस्वी और निष्कलंक चरित्र माँओं के संस्कारों से पुष्पित हुआ। हमारा संकल्प है कि इसी भावना के साथ “मातृत्व, रामत्व और रामराज्य” के आदर्श को पुनः प्रत्येक परिवार तक पहुँचाया जाए।
“माँ” स्वयं में पूर्णता, करुणा और शक्ति का प्रतिरूप है। जिस माँ की गोद में ऐसे आदर्श पुत्र का जन्म हुआ, जो स्वयं विष्णु अवतार हैं, उस माँ को स्मरण करते ही देव, देवियाँ और समस्त सृष्टि प्रसन्न होती है। इसीलिए आवश्यकता महसूस हुई कि अयोध्या में ऐसी जगत जननी माताओं और चारों दिव्य भाइयों के आदर्श को एक ही परिसर में साकार रूप दिया जाए, ताकि यह मंदिर केवल पूजा का स्थान न होकर संस्कार, चरित्र-निर्माण और आदर्श परिवार की पाठशाला बन सके।
भारत और विश्व के विभिन्न भागों में रहने वाले खरे सनातनी हिन्दुओं से विमर्श, संवाद और मार्गदर्शन प्राप्त कर यह भाव जागृत हुआ कि एक ऐसा “ट्रेंडसेटर मंदिर” बने, जो केवल भव्यता में नहीं, बल्कि विचार और व्यवहार में भी रामराज्य-समाज का बीज बो सके। इसी भावना के साथ श्री शंकराचार्य घाट, काशी की पावन भूमि पर संकल्प लिया गया और श्री राम माता कौशल्या धाम अयोध्या ट्रस्ट का विधिवत पंजीकरण करके यह अभियान आरम्भ किया गया, ताकि विश्व के सभी सनातनी एक मंच पर आकर “राममय परिवार, राममय समाज और राममय राष्ट्र” के लक्ष्य के लिए संगठित हो सकें।
बहुत से श्रद्धालुओं के मन में स्वाभाविक प्रश्न है कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि का भव्य मंदिर निर्माण हो चुका है, फिर श्री राम माता कौशल्या धाम, अर्थात् मातृधाम की आवश्यकता क्यों? इसका उत्तर यही है कि जहाँ पुत्र का मंदिर है, वहाँ उस माँ और उन माताओं का भी धाम होना चाहिए, जिनकी गोद में श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे अद्वितीय पुत्र अवतरित हुए। यह मातृधाम संसार के सामने यह संदेश रखेगा कि राजधर्म के साथ-साथ परिवार-धर्म, पुत्र-धर्म, भाई-धर्म और जन-धर्म कैसा होना चाहिए।
हमारा विश्वास है कि जब परिवारों में “राम” की विचारधारा स्थापित होगी, तो अपने-आप आसुरी प्रवृत्तियाँ, कलह, निराशा और अव्यवस्था मिटने लगेगी। श्री हनुमानजी की कृपा से, जो भी इस कार्य में सहयोग करेगा, वह केवल दानदाता नहीं, बल्कि इस धाम का आजीवन हिस्सेदार और भागीदार बनेगा। यह मंदिर किसी सरकार के सहारे नहीं, बल्कि सनातन समाज की भावना और सहयोग से निर्मित होगा, ताकि यह पूरी तरह धार्मिक, निष्पक्ष और भावनात्मक आधार पर समाज को जोड़े।
श्री हनुमानजी की भाँति, जिन्होंने श्री राम का कार्य पूर्ण होने तक विश्राम नहीं लिया, वैसे ही हमारा ध्येय है कि जगत जननी माताओं का यह मातृधाम पूर्ण समर्पण और श्रम से तैयार हो। जो भी इसकी सेवा में जुड़ेंगे, उन्हें सामाजिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से शक्ति, गौरव और एक नई पहचान प्राप्त होगी। यह धाम केवल एक इमारत नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए “रामधर्म के सेनानी” तैयार करने का केंद्र बनेगा।
यह भारत का पहला ऐसा परिसर होगा, जहाँ श्री शंकर दरबार और श्री राम दरबार के साथ-साथ मातृधाम की अवधारणा साकार रूप में दिखाई देगी; जहाँ विष्णु भगवान के धनुष, चक्र, शेषनाग, शंख और बालरूप की झाँकी के माध्यम से समस्त सृष्टि, संरक्षण और पालकत्व का बोध हो सके। यहाँ मातृत्व, पितृत्व, भ्रातृत्व, राजधर्म और प्रजधर्म – सभी के बीच समन्वयपूर्ण वातावरण का अनुभव होगा।
मातृधाम का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य यह भी है कि बिखरे हुए सनातनी समाज को एक स्वच्छ, निष्कलंक और सशक्त मंच पर जोड़ा जाए। इसके अंतर्गत देश-विदेश के सनातनी परिवारों के लिए राज्यवार भवनों, गौ-प्रांगणों और सांस्कृतिक सुविधाओं की कल्पना की गई है, ताकि प्रत्येक राज्य अपने वैदिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों के साथ “रामराज्य की भूमि अयोध्या” में अपना प्रतिनिधित्व कर सके। हम सभी मिलकर यह संकल्प लेते हैं कि हर घर “श्री राम का धाम” बने और यह मातृधाम आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा-स्रोत रहे।